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इतने लड़ाई झगडे के बाद भी दुनिया के क्रिकेट सिस्टम के लिए भारत-पाकिस्तान मैच क्यों जरूरी है?

क्रिकेट तंत्र के रेवेन्यू और आईसीसी का पॉवर-पॉलिटिक्स का पूरा तंत्र चाहता है कि भारत-पाकिस्तान के मैच लगातार होते रहे

पहलगाम में 26 लोगों की हत्या और फिर ऑपरेशन सिंदूर। दोनों देशों की सीमाओं के बीच फाइटर जेट्स और ड्रोन की आवाजाही के बीच फिर यह मांग उठने लगी कि भारत को पाकिस्तान से हर तरह के संबंध तोड़ लेने चाहिए। इसमें खेल संबंध भी थे और माना जाना लगा कि आने वाली प्रतियोगिता में भारत-पाकिस्तान क्रिकेट मैच शायद ही हों। एशिया कप का कार्यक्रम टीमें घोषित हो गईं, लेकिन पाकिस्तान से क्रिकेट खेला जाया या नहीं, इस पर स्पष्टता नहीं थी।

लेकिन, सरकार ने बीते गुरुवार साफ कर दिया कि मल्टीनेशनल टूर्नामेंट में पाकिस्तान से क्रिकेट खेलने में कोई दिक्कत नहीं है। कश्मीर के आतंकवाद और आतंकी  घटनाओं के साए में ऐसा पहले भी होता रहा है कि भारत-पाकिस्तान क्रिकेट संबंध खतरे में पड़ते रहे हैं। 2008 में मुंबई आतंकी हमले के बाद सरकार ने फैसला लिया था कि भारत, पाकिस्तान के साथ कोई मैच नहीं खेलेगा।

हालांकि , बाद में हालात सुधरे और भारत-पाकिस्तान ने क्रिकेट खेला। 2025 में सरकार का फैसला इस ओर इशारा करता है कि आखिर क्यों भारत-पाकिस्तान के बीच क्रिकेट खेलने के लिए पूरी कायनात जोर लगा देती है।

सबसे बड़ी वजह- पैसा

एशिया कप 9 सितंबर से यूएई में होना है। और इसके ब्रॉडकास्टिंग राइट्स 2024 में ही बिक चुके हैं। एशिया कप के प्रासरण राइट्स 70 मिलियन डॉलर यानी करीब 1500 करोड़ रूपए में बिके हैं। अब अगर भारत-पाकिस्तान का मैच नहीं होता है तो ब्रॉडकास्टर्स को बड़ा नुकसान होगा।

10 सेकेंड के विज्ञापन के लिए होता 25 से 30 लाख का स्लॉट

अगर भारत पाकिस्तान आमने –सामने नहीं भिड़े तो व्यूअरशिप कई गुना घट जाएगी। कमाई का अंदाजा आप इससे लगा लीजिए कि भारत-पाकिस्तान मैच के दौरान विज्ञापन के स्लॉट रेट 10 सेकेंड के लिए 25 से 30 लाख रुपये होता है। और बाकी मैच में यह आंकड़ा आधे के आसपास आ जाता है। तो अंदाजा लगा लीजिए कि अगर भारत –पाकिस्तान मैच नहीं हुआ तो ब्रॉडकास्टर्स सोनी पिक्चर्स के घाटे का अंदाजा लगाया जा सकता है। अगर ऐसा होगा तो इंटरनेशनल प्रसारणकर्ताओं में बीसीसीआई की साख भी घटेगी और आगे की कमाई पर भी आशंका के बादल मंडराएंगे।

क्रिकेट की राजनीति में भारत का दबदबा घट सकता है

क्रिकेट का मक्का भले ही लॉर्ड्स में है, लेकिन इस समय अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट तंत्र का ऑपरेटर एशियन ब्लाक ही है। इसके दो कारण हैं- एक तो भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसों की बड़ी जनसंख्या। और फिर इन देशों में खेल माने क्रिकेट। क्रिकेट जन्मा पला बढ़ा भले ही इंग्लैंड में हो लेकिन इस समय क्रिकेट को जीवनीशक्ति भारत-पाकिस्तान बढ़ा देते हैं। स्वाभाविक रूप से एशियन ब्लॉक का नेतृत्व भारत के पास है और पाकिस्तान समेत बाकी देश भी बीसीसाई के साथ ज्यादातर मसले पर सहमत हो जाते हैं और आईसीसी के क्रिकेट प्रशासन संबंधी चुनाव में भारत की मदद करते हैं।

भारत-पाक तनाव और बढ़ा देता है व्यूअरशिप

ऐसे में अगर भारत-पाकिस्तान के बीच तनातनी 22 गज की पिच पर भी दिखाई देती है तो उसकी व्यूअरशिप और बढ़ जाती है। लेकिन अगर भापत-पाक मैच नहीं हों तो यह तनातनी दोनों देशों के क्रिकेट बोर्ड के बीच जुबानीजंग का रूप ले लेगी और क्रिकेट प्रशासन में बीसीसीआई का दबदबा घटेगा।

हालांकि दो बार हो चुका है एशिया कप में बॉयकाट

1986 के एशिया कप में भारत ने एशिया कप का बहिष्कार किया था। तब भारत और श्रीलंका के संबंध अच्छे नहीं थे और एशिया कप श्रीलंका में हुआ था और भारत ने श्रीलंका जाकर खेलने से इंकार कर दिया था।

1991 में एशिया कप भारत में खेला गया था। भारत-पाक संबंधों के चलते पाकिस्तान ने भारत आकर खेलने से इंकार कर दिया था।

क्रिकेट के लिए जरूरी है भारत-पाकिस्तान राइवलरी

क्रिकेट इस समय अपने प्रसार के बहुत तेज दौर में है। एशेज जैसे इंग्लैड –ऑस्ट्रेलिया के बीच खेले जाने वाले टूर्नामेंट पूरी दुनिया में चर्चा पाते हैं और उनका ऐतिहासिक महत्व है। लेकिन, जब बात भारत-पाकिस्तान के मुकाबले की आती है तो सब फीका हो जाता है। क्रिकेट की लोकप्रियता से लेकर पैसे तक यह मैच देते हैं जिनसे पूरी दुनिया के क्रिकेट का बैट-बल्ला चलता है। ऐसे में भारत पाकिस्तान के मैच दुनिया और भारत-पाक क्रिकेट के लिए जरूरी हैं।

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