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क्या बीसीसीआई मैनेजमेंट ने तय कर लिया है कि श्रेयस अय्यर को नहीं खेलने देना है?

श्रेयस अय्यर सोशल मीडिया के ट्रेंड में हैं, लेकिन एशिया कप के लिए चुनी गई भारतीय टीम में नहीं। श्रेयस भारत के लिए तीनों फार्मेट खेल चुके हैं, लेकिन फिलहाल वे सिर्फ वनडे फार्मेट में ही खेल रहे हैं। अय्यर ने टीम इंडिया के लिए अपना आखिरी टी 20 मैच दिसंबर 2023 में खेला था और उसके बाद से वे इस फार्मेट की भारतीय टीम से बाहर हैं।

मुख्य चयनकर्ता अजित अगरकर ने एशिया कप की टीम में श्रेयस अय्यर का चयन न होने पर बड़ा नियतिवादी जवाब दिया। उन्होंने कहा, ‘श्रेयस का प्रदर्शन अच्छा है। उनकी कोई गलती नहीं है। लेकिन, हमारी भी कोई गलती नहीं है।‘ अब इस कथन का क्या मतलब निकाला जाए। एक मतलब तो यही है कि भारतीय क्रिकेट में प्रतिभाओं की भरमार है और अंतिम ग्यारह या पंद्रह में किसी न किसी प्रतिभाशाली को बाहर ही रहना पड़ेगा।   

2023 में अय्यर ने रणजी से जरा परहेज किया। लेकिन, रणजी में न खेलना, घरेलू टूर्नामेंट से परहेज करना तो एक वक्त टीम के स्टार खिलाड़ियों का कल्चर ही बन गया था। और टीम में आने का रास्ता आईपीएल ही हो गया था । लेकिन, इसकी सबसे कड़ी सजा बीसीसीआई प्रबंधन ने श्रेयस अय्यर और ईशान किशन को ही दी। अय्यर बीसीसीआई के सेंट्रल कान्ट्रैक्ट से बाहर कर दिए गए। श्रेयस बाद में रणजी में लौटे और उनकी बल्लेबाजी में मुंबई में रणजी ने शारनदार प्रदर्शन भी किया, लेकिन टी20 में टीम में उनका रास्ता नहीं खुला। टी 20 की भारतीय टीम का रास्ता इस समय भी आईपीएल से ही होकर गुजर रहा है। और बीते आईपीएल-2025 में तो अय्यर ने 604 रन मारे। औसत भी 50.33 का और स्ट्राइक रेट भी 175 के आसपास। इनमें पचास फिफ्टी भी हैं। श्रेयस ने भारत के लिए 47 टी 20 खेले हैं और 1104 रन बनाए हैं। श्रेयस स्पिन को जिस तरह से खेलते हैं और किसी भी समय किसी भी गेंदबाज के खिलाफ खेल का पेस बदल देने की ताकत रखते हैं, उससे एक वक्त लगता था कि वे भारत की बल्लेबाजी लाइनअप के मुख्य स्तम्भ बनेंगे। और ये धारणा एक वक्त मजबूत थी, बल्कि वे टीम में आने के शुभमन गिल से भी ज्यादा दावेदार लग रहे थे। लेकिन, अभी वे टी 20 के प्लेइंग इलेवन क्या, पंद्रह खिलाडियों में नहीं है। इसमें तो छोड़िये उन्हें रिजर्व प्लेयर के लायक भी नहीं माना गया है। 

तो आखिर समस्या क्या है? मुसीबतें श्रेयस अय्यर के पीछे क्यों पड़ी हैं? वे अपने प्रदर्शन से समस्यायें हल करने की कोशिश करते हैं, लेकिन समस्या है कि उनका पीछा ही नहीं छोड़ती। लेकिन, शायद समस्या प्रतिभा या प्रदर्शन की है ही नहीं। रणजी से दूर रहना, श्रेयस की गलती थी और उस पर उन्हें सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट से बाहर करना या बीसीसीआई प्रबंधन का नाराज होना बुहत खराब फैसला नहीं कहा जा सकता। बल्कि संस्थागत तौर पर इसे ठीक ही कहा जाएगा।

लेकिन, ऐसे प्रतिभाशाली खिलाड़ी को प्रदर्शन के बाद भी टीम से बाहर रखना क्या सिर्फ बीसीसीआई की संस्थागत नाराजगी है या बीसीसीआई  और टीम प्रबंधन में कोई ताकतवर व्यक्ति उनसे नाराज है? केकेआर के कोचिंग स्टाफ के अभिषेक नायर ने कहा भी कि शायद श्रेयस से कोई नाराज है..। लेकिन कौन ?  श्रेयस किसकी योजना में फिट नहीं बैठते ? मुख्य चयनकर्ता अजित अगरकर की या टीम के कोच गौतम गंभीर की। टी 20 के कप्तान सूर्य कुमार यादव ऐसा कोई हस्तक्षेप करेंगे या उस स्थित में ऐसा तो है नहीं? या फिर भारतीय क्रिकेट में प्रतिभा की इस कदर भरमार है कि एक ढूंढो हजार मिलते हैं। ये सवाल हैं बाकी सब गॉसिप है जो इस किस्म की हेड लाइंस बनाता है कि गौतम गंभीर पंगा श्रेयस को भारी पड़ा।

क्या श्रेयस खुलकर बोलते हैं और उनका बोलना और एटीट्यूड ही पंगे की वजह है। शायद, यही उनकी परेशानी का सबब है और बिना इस मसले को सेटल किए श्रेयस की टीम में वापसी मुश्किल है। फिलहाल वे शायद बीसीसीआई की योजना में नजर नहीं आते। उनके हाथ में सिर्फ एक चीज है प्रदर्शन, जो श्रेयस कर ही रहे हैं।   

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